असहयोग आंदोलन 1920 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण और अहिंसक विरोध करके स्वराज (स्व-शासन) प्राप्त करना था।
असहयोग आंदोलन के मुख्य उद्देश्य:
- ब्रिटिश शासन का विरोध – भारतीयों को ब्रिटिश सरकार के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग न करने के लिए प्रेरित करना।
- स्वराज की प्राप्ति – भारत को विदेशी शासन से मुक्त कराकर आत्मनिर्भर बनाना।
- अहिंसक आंदोलन – बिना किसी हिंसा के सत्याग्रह के माध्यम से ब्रिटिश सरकार पर दबाव बनाना।
- राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा – हिन्दू-मुस्लिम एकता को मजबूत करना और भारतीय समाज में जागरूकता फैलाना।
- स्वदेशी अपनाना – विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना और स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग बढ़ावा देना।
असहयोग आंदोलन के प्रमुख कारण:
- जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) – इस नृशंस हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर दिया और अंग्रेजों के खिलाफ आक्रोश बढ़ा दिया।
- रॉलेट एक्ट (1919) – इस काले कानून के तहत किसी भी भारतीय को बिना मुकदमे के जेल में डाला जा सकता था।
- ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियाँ – भारतीयों के मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा था।
- खिलाफत आंदोलन का समर्थन – महात्मा गांधी ने मुस्लिम समुदाय के समर्थन में खिलाफत आंदोलन को असहयोग आंदोलन से जोड़ा।
- आर्थिक शोषण – ब्रिटिश सरकार की नीतियों के कारण भारतीय कुटीर उद्योग नष्ट हो रहे थे, जिससे देश में गरीबी बढ़ रही थी।
असहयोग आंदोलन के अंतर्गत भारतीयों ने सरकारी नौकरियों, स्कूलों, कॉलेजों और अदालतों का बहिष्कार किया। लोगों ने विदेशी वस्त्रों को जलाया और स्वदेशी वस्त्रों का उपयोग किया। हालांकि, 1922 में चौरी-चौरा कांड के बाद गांधीजी ने इस आंदोलन को वापस ले लिया। लेकिन इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और ब्रिटिश सरकार की नींव हिला दी।