सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) का पूरा विवरण

परिचय

सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक थी। यह सभ्यता लगभग 2500 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व के बीच अपने चरम पर थी और मुख्य रूप से भारत और पाकिस्तान के सिंधु नदी के किनारे विकसित हुई थी। इसे हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilization) भी कहा जाता है, क्योंकि इसका पहला प्रमुख स्थल हड़प्पा (Harappa) था, जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है।


  1. खोज और खोजकर्ता

सिंधु घाटी सभ्यता की खोज 1921 में दयाराम साहनी (Harappa) और 1922 में राखालदास बनर्जी (Mohenjo-Daro) ने की थी। इन स्थलों की खुदाई से एक उन्नत नगर योजना, विशाल भवन, जल निकासी प्रणाली और विभिन्न कलाकृतियाँ मिलीं।


  1. प्रमुख स्थल

सिंधु घाटी सभ्यता के अंतर्गत कई शहर और नगर आते हैं। कुछ प्रमुख स्थलों के नाम और उनकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:


  1. नगर योजना और वास्तुकला

सिंधु घाटी सभ्यता के नगर नियोजन और वास्तुकला की विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  1. सुनियोजित नगर – सड़कों को ग्रीड पैटर्न में बनाया गया था।
  2. पक्की ईंटों के मकान – घरों में आंगन, कुएं और स्नानघर थे।
  3. सिंचाई और जल निकासी – उन्नत जल निकासी प्रणाली थी, जिससे जल प्रबंधन उत्कृष्ट था।
  4. महान स्नानागार (Great Bath) – मोहनजो-दड़ो में स्थित एक विशाल सार्वजनिक स्नानागार।
  5. किलेबंदी और अन्नागार – अनाज भंडारण के लिए बड़े अन्नागार बनाए गए थे।

  1. आर्थिक व्यवस्था
  2. कृषि – गेहूं, जौ, कपास, सरसों और चावल की खेती होती थी।
  3. पशुपालन – बैल, भेड़, बकरी और कुत्तों का पालन किया जाता था।
  4. व्यापार – मेसोपोटामिया (ईराक), फ़ारस (ईरान) और अफगानिस्तान से व्यापार होता था।
  5. धातुकर्म – तांबा, कांसा, सोना और चांदी का उपयोग किया जाता था।

  1. समाज और धर्म

सिंधु घाटी सभ्यता का समाज व्यवस्थित था:

  1. सामाजिक संरचना – राजा या प्रशासक वर्ग, व्यापारी, कारीगर और किसान।
  2. धर्म – पशुपति मुहर, मातृ देवी की मूर्तियाँ, योग मुद्रा में बैठे पुरुष की मूर्तियाँ मिली हैं, जिससे शिव उपासना का संकेत मिलता है।
  3. अंतिम संस्कार – शवों को जलाने और दफनाने दोनों की परंपराएँ थीं।

  1. लिपि और भाषा

अज्ञात लिपि – अभी तक सिंधु लिपि को पूरी तरह पढ़ा नहीं जा सका है।

चिह्न और प्रतीक – मुहरों पर चित्रलिपि और पशु आकृतियाँ पाई गई हैं।


  1. पतन के कारण

सिंधु घाटी सभ्यता के पतन को लेकर कई मत हैं:

  1. जलवायु परिवर्तन – नदियों का मार्ग बदलने से कृषि प्रभावित हुई।
  2. बाढ़ और सूखा – बार-बार आने वाली बाढ़ या लंबे समय का सूखा।
  3. आर्य आक्रमण – कुछ विद्वानों का मत है कि आर्यों के आक्रमण से यह सभ्यता नष्ट हुई।
  4. प्राकृतिक आपदाएँ – भूकंप और अन्य प्राकृतिक कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं।

  1. निष्कर्ष

सिंधु घाटी सभ्यता दुनिया की पहली उन्नत शहरी सभ्यताओं में से एक थी। इसकी उन्नत नगर योजना, व्यापारिक नेटवर्क, कला और संस्कृति से यह सिद्ध होता है कि यह सभ्यता अत्यधिक विकसित थी। हालाँकि, इसके पतन के कारण अभी भी रहस्य बने हुए हैं। यह सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *