Arthashastran and Arthvevastha

अर्थशास्त्र और अर्थव्यवस्था

  1. अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है जो वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन , वितरण और खपत से सम्बन्धित है।
  2. अर्थबवस्था संसाधनों के आवंटन पर टिका हुवा है। अर्थशास्त्र में आमतौर पर सम्लित
  3. अर्थशास्त्र में वर्गीकृत किया जा सकता है जो कुल अर्थव्यवस्था और व्यष्‍टि अर्थशास्त्र के व्यवहार पर केंद्रित दित है।

अर्थव्यवस्था  के प्रकार :

अर्थव्यवस्था  को तीन प्रमुख प्रकारों में बिभाजित किया जा सकता है।

१- बाजार अर्थव्यवस्था

२- गैर बाजार अर्थव्यवस्था

३ – मिश्रित अर्थव्यवस्था

व्यष्‍टि अर्थशास्त्र

  1. उपभोक्ता व्यवहार  सिद्धांत
  2. उत्पादक व्यवस्था सिद्धांत
  3. कीमत सिद्धांत 

1- उपभोक्ता व्यवहार सिद्धांत

यह व्यक्तिगत होता है इस सिद्धांत के अंतर्गत उपभोक्ता के उस उपभोग का अध्यन किया जाता है जिससे उस अधिकतम संतुष्टि प्राप्त होती है।

जैसे :- व्यक्तियों , मजदूरों छोटे समूह

  • उत्पादक व्यवस्था सिद्धांत

इसमें यह अध्ययन किया जाता है की उत्पादक यह  निर्णय कैसे लेता है की उसे किस वस्तु का उत्पादन करना है जिससे उसे अधिकतम लाभ हो।

  • कीमत सिद्धांत 

कीमत सिद्धांत में ये अध्ययन किया जाता है की बाजार में वस्तुओं की कीमत किस प्रकार निर्धारित होती है।

सम्पति अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण घटक

  1. सरकारी मुद्रा की पूर्ति बजट एवं साख नियमन
  2. रोजगार से सम्बन्धी सिद्धांत और बैंकिंग की अवधारणा
  3. अर्थव्यवस्था में मुद्रास्थिति और अंतराल से सम्बंधित

सम्पति अर्थव्यवस्था में पूरे देश की अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है

 

Micro Eco

  1. व्यक्तिगत बाजार
  2. वस्तु की कीमत पर प्रभाव
  3. व्यक्तिगत श्रम बाजार
  4. व्यक्तिगत उपभोक्ता
  5. वस्तु की आपत्ति एवं प्रभाव

Micro Eco Whole Economy GDP

  1. मुद्रास्फीति
  2. रोजगार
  3. मांग
  4. आर्थिक उत्पादन छमता / इसमें सरकार पर फोकस होता है

Macro & Micro Eco तुलनात्मक अध्ययन

  • व्यष्‍टि :- व्यष्‍टि अर्थव्यवस्था का अध्ययन व्यक्तिगत  इकाई की अर्थव्यवस्था के लिए किया जाता है। 
  • समष्टि :- अर्थव्यवस्था का अध्ययन सम्पूर्ण देश की अर्थव्यवस्था के अध्ययन के लिए किया जाता है।
  • Micro Eco :- में संसाधनों के  अधिकतम वितरण से संबंधित सिद्धांत का अध्ययन होता है।
  • Macro Eco – जबकि Macro Eco उत्पादकता का विस्तार और पूर्ण रोजगार की प्राप्ति से सम्बंधित सिद्धांतों का अध्ययन करता है।
  • व्यष्‍टि अर्थव्यवस्था का अध्ययन व्यक्तिगत इकाई में संतुलन की स्थिति में हो।
  • जबकि समष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन तब  किया जाता है जब सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था  असंतुलन की स्थिति में हो।
  • व्यष्‍टि अर्थव्यवस्था पूर्ण प्रतियोगिता एवं रोजगार सरकार का दखल नहीं स्वतंत्र कीमत तंज इत्यादि मान्यताओं पे आधारित है।
  • जबकि समष्टि अर्थशास्त्र उत्पादन के साधनो का वर्तमान वितरण पहले से ही निर्धारित है ऐसी मान्यता रखता है। 
  • व्यष्‍टि  अर्थशास्त्र विश्लेषण के लिए उपकरण के रूप में कीमत का उपयोग करता है।
  • जबकि समष्टि अर्थशास्त्र राष्ट्रीय आय का स्तर विश्लेषण के उपकरण के रूप में प्रयोग करता है।

 

अर्थव्यवस्था के क्षेत्र

प्राथमिक क्षेत्र:- यह कच्चे मॉल और प्राकृतिक सीसाधनो से सम्बन्धित है। 

जैसे :- कृषि , मत्स्य पालन , पशुपालन आदि।

माध्यमिक क्षेत्र:- यह निर्माण और विनिर्माण सम्बन्धित है

जैसे :- बिजली , गैस , जल , आपूर्ति अदि।

तृतीयक क्षेत्र :- इसे सेवा क्षेत्र से जाना जाता है।

जैसे :- बैंकिंग , परिवहन , पर्यटन , आदि।

चतुर्थ क्षेत्र :- इस क्षेत्र में बैंकिंग गतिविधियां शामिल है।

पंचमांगी  क्षेत्र :- उधोग आदि में उच्च सत्तीय निर्णय लेना शामिल है।

 

अर्थव्यवस्था की मुख्य समस्याएं

संसाधनों में कमी अर्थव्यवस्था में विकल्प की समस्या को जन्म देती है इस लिए संसाधनों का उचित आवंटन किया जाना चाहिए।  

अर्थव्यवस्था की मुख्य समस्याएं

 

क्या उत्पादन करें

  • उत्पादन कैसे करें
  • उत्पादन किसके लिए करें

अनधिमानक :- दो सामानो  के विभिन्न संयोजनों का चित्रमय प्रतिनिधि है।

 

अनधिमान वक्र के गुण :- मूल बिंदु के उल्ल होते है।

  • दो अधिमानक वक्र कमी भी एक दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करते है।
  • एक आदिमानव वक्र कमी की X या Y अक्ष को नहीं छूता  है।
  • उच्च अधिमान वक्र संतुष्टि के उच्च स्तर को दिखता है।
  • अधिमान वक्र का ढलान निचे की ओर होती है।

बजट रेखा :- दो वस्तुओं की सभी संभावित संयोजनों का चित्रमय प्रतिनिधित्व हो। बजट रेखा नीचे की तरफ ढलान करती है।  यह ये सीधी रेखा है बजट रेखा की ढलान को मूल्य अनुपात करती है।  यह स्थिर रेखा है।

बाजार संरचनाएं :- एक ऐसी जगह है जहां क्रेता और विक्रेता एक दूसरे के साथ सम्पर्क में आते है और वस्तुओं की खरीद बिक्री  करते है।

 

बाजार संरचना के मुख्य निर्धारक

  1. वस्तुओं की प्रकृति
  2. जान
  3. वस्तुओं के क्रेताओ और विक्रेताओं की संख्या
  4. फॉर्मो में प्रवेश और निकास की स्वतंत्रता
  5. गतिशीलताएँ

 

अर्थव्यवस्था में मांग और आपूर्ति की अवधारणा

माँग :- माँग उन वस्तुओं या सेवाओं की मात्रा है जो उपभोगता खरीदने के लिए सक्षम  और तैयार है।

माँग के निर्धारक ( Determinants of Demand )

  1. वस्तुओं की कीमत
  2. सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत

माँग का नियम :- कीमत जीतनी अधिक होगी माँग  उतनी ही काम होगी यह बताता है की वस्तुओं की कीमत और माँग की भागा के बिच एक बिपरीत सम्बन्ध होते है।

 

वस्तुओं के प्रकार

  1. स्थानापन्न वस्तुएं :- अगर स्थानापन्न वस्तुओं की कीमत में बृद्धि होती है  तो दी गई वस्तुओं की माँग भी बढ़ जाती है

जैसे :- चाय और काफी

  • पूरक वस्तुएं :- अगर पूरक वस्तुओं की कीमत में बृद्धि होती है तो दी गई वस्तुओं की माँग में घाट सकती है।

जैसे :- चाय , चीनी

 

  • सामान्य वस्तुएं :- आय की बृद्धि के साथ इसकी मांग में बृद्धि होती है।

जैसे :- टीवी

  • गिफेन वस्तुएं :- कीमत बढ़ने पे लोग अधिक उपयोग करते है। उदाहरण :- अगर अल्लू की कीमत बढ़ती हैं तो लोग के पास अन्य विकल्प नहीं जो खरीद पाएंगे इसलिए अधिक अल्लू खरीदेंगे।

 

  • घटिया वस्तुएं :- आये में बृद्धि के साथ माँग में गिरावट आती है।
  • वेब लेन वस्तुएँ :- इसकी कीमत में बृद्धि होने पे माँग में भी बृद्धि होती है क्यों की लोगों को लगता है की कीमत जितनी अधिक उत्तना ही बेहतर होगा। उदहारण :- ब्रांडेड कपडे इत्यादि

 

आपूर्ति :- आपूर्ति एक वस्तु की मात्रा है जो एक फर्म इच्छुक है और दी गई कीमत पर बेचने में सक्षम है।

आपूर्ति का नियम :- आपूर्ति के नियम के तहत अन्य कारको को स्थिर रखते हुए आदि मुल्य बढ़ता है जो माल की आपूर्ति भी बढ़ जाती है।

अदृश्य हाथ :- एडम स्मिथ ने अपनी पुस्तक द थ्योरी ऑफ मोरल सेंटीमेंट्स १७५९ में और एन  इन्क्वायरी इन  द नेचर एड काज आफ द वेल्थ आप नेशन में अदृश्य हाथ की  अवधारण प्रस्तुत की थी।  यह अनदेखी बाजार सक्ति है।

एडम स्मिथ प्रतिस्पर्धा आपूर्ति और माँग का उपयोग करके खुद को विनियमित करने के लिए आर्त्तक्षेप आर्थिक नीतियां और मुक्त बाजार की प्राकृतिक के प्रस्तावक थे।

 

एडम स्मिथ के कराधान के चार सिद्धांत है।

  1. समानता का सिद्धांत
  2. अनिश्चितता का सिद्धांत
  3. संविदा का सिद्धांत
  4. अर्थव्यवस्था  सिद्धांत

एडम स्मिथ अर्थशास्त्र और पूंजीवाद के जनक के रूप में जाना जाता है।

जान मेनार्ड किंस के द्वारा मितव्ययिता का बिरोधाभास व्यक्तिगत बचत आर्थिक विकाश के लिए हानिकारक दे सकता है।

जॉन मेनार्ड कीन्स संपत्ति अर्थशास्त्र के जनक के रूप में हाना हटा है।